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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :325
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2628
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर

प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए। 

अथवा

आश्रम व्यवस्था प्राचीन भारतीय सामाजिक व्यवस्था की एक निराली व्यवस्था थी, विवेचना कीजिए।

अथवा

प्राचीन वैदिक काल में स्त्रियों की दशा पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
 (a) उत्तर वैदिक काल की राजनैतिक व्यवस्था।
(b) उत्तर वैदिक कालीन आश्रम व्यवस्था।
(c) उत्तर वैदिक कालीन आर्थिक व्यवस्था।
(d) उत्तर वैदिक कालीन धर्म तथा दर्शन।

उत्तर-

उत्तर वैदिक काल की सभ्यता का ज्ञान हमें इस काल में रचे ग्रन्थों से होता है। ये ग्रन्थ सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद की तीन संहिताये, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक और उपनिषद हैं। सामवेद के सूक्तों को उद्गाम नाम के पुरोहित गाते थे, यजुर्वेद में बहुत से सूक्त ऋग्वेद और सामवेद से लिखे गये हैं। इतिहास की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण अथर्ववेद है, जिसमे 29 खण्ड हैं।

राजनैतिक व्यवस्था (Political System)

भौगोलिक सीमा विस्तार : ऋग्वैदिक काल की सभ्यता केवल पंजाब तक ही सीमित थी। उत्तर वैदिक काल में आर्य भारत के अधिकांश भाग पर अपना अधिकार कर चुके थे, उत्तर वैदिक काल की सभ्यता का मुख्य केन्द्र कुरुक्षेत्र था, मध्य प्रदेश में भी उत्तर वैदिक काल की सभ्यता फूली फली थी।
ब्राह्मणों और उपनिषदों से इस काल के उत्तर भारत में कुछ अन्य राज्यों का भी पता चलता है। ये निम्नलिखित हैं-
1. गान्धार : यह राज्य पश्चिमी पंजाब के रावलपिडी और उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रदेश के पेशावर जिलों में स्थित था। इसके दो प्रसिद्ध नगल तक्षशिला और पुष्कामावती थे।
2. केकय: यह गान्धार राज्य के पूर्व में व्यास नदी तक फैला हुआ था। जनक के समय में इस राज्य का राजा अश्वपति था।
3. भद्र : इस राज्य के तीन भाग थे, उत्तर भद्र सम्भवतः काश्मीर में पूर्वी भद्र कांगड़ा के निकट और दक्षिण भद्र अमृतसर तक फैला था।
4. उशीनर : यह सम्भवत: उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में था।
5. मतस्य:
इसमें अलवर, जयपुर और भरतपुर के निकटवर्ती प्रदेश सम्मिलित थे।
6.जनक के समय में पांचाल का प्रसिद्ध राजा प्रवाहण जैवलि था।
7. काशी : इस राज्य की राजधानी वाराणसी थी। जनक के समय यहाँ अजातशत्रु नाम का राजा राज्य करता था।
8. कोसल : यह राज्य अवध में स्थित था, इसके पूर्व में विदेह का राज्य था, सम्भवतः अयोध्या इसकी राजधानी थी।
इस काल के अन्तिम दिनों तक आर्य लोग विन्ध्याचल को पार करके नर्मदा नदी के दक्षिण में गोदावरी तक फैल गये थे। यहाँ आर्य तथा अनार्यों के अनेक राज्य थे।
1. विदर्भ : आधुनिक बरार के आस-पास का प्रदेश था, यहाँ के राजा भोज कहलाते थे। उपनिषदों में विदर्भ के कई ऋषियों के नाम आते हैं।
2. कलिंग : बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों में इस राज्य का अधिक उल्लेख हुआ।
3. अश्मक : यह राज्य गोदावरी के तट पर था, इसकी राजधानी पोतन थी।
4. दण्डक- इस राज्य के राजा भोज थे, इनकी प्रजा सत्वत कहलाई थी। इन संगठित राज्यों के अतिरिक्त आन्ध्र, शकर, पुलिन्द आदि राज्य भी थे।
राजा का उद्भव : उत्तर वैदिक काल में साम्राज्यवाद का भी विकास हुआ। 'अधिराज', 'राजाधिराज। 'एकराट', 'सम्राट', 'विराट और 'स्वराज्य' आदि शब्दों के प्रयोग से उक्त तथ्य की पुष्टि होती है। राजसूय यज्ञ के द्वारा ही राजा बनता था. इसकी पुष्टि ऐतरेय ब्राह्मण से होती है।
राजा के कार्य - राजा के कार्यों में विजय करना सभी प्रदेशों की खोज करना अपनी श्रेष्ठता स्थापित करना, सर्वोच्चता और प्रसिद्धि करना, राज्य, साम्राज्य और स्वामित्व प्राप्त करना, सभी प्रदेशों का शासक बनना और समुद्र तक पृथ्वी का एकमात्र प्रभु बनना था।
राजा के दैवी अधिकार : इस समय यह धारणा प्रचलित थी कि राजा दैव की कृपा से बनता था। अतः दैवी सिद्धान्त का प्रचलन था। अतः एक स्थान पर राजा पुरु से यह कहता है- मैं इन्द्र हूँ, मैं वरुण हूँ, ब्राह्मण काल में यह धारणा बलवती हो गयी थी कि अश्वमेघ तथा वाजपेय यज्ञों को करने से राजा देव समान हो जाता है।
राज्याभिषेक : राज्याभिषेक के बाद राजा गद्दी पर बैठता था। इस अवसर पर उत्तराधिकारी अपने मंत्रियों की पूजा करता था और वह प्रतिज्ञा करता था कि वह मन, वचन तथा कर्म से पृथ्वी तथा धर्म का पालन करेगा और शास्त्र के अनुसार शासन करेगा।
मन्त्री : राजा अपने मंत्रियों पर निर्भर रहता था, इन्हें रत्निन भी कहा जाता था। रत्निन को राजा के मुकुट का रत्न कहा गया है, उन्हें राजा बनाने का पूर्ण अधिकार था।
सभा और समिति : राजा के कार्यों एवं निरंकुशता पर नजर रखने के लिए सभा और समिति को बनाया गया था, विद्वानों का मत है कि जहाँ यह जाते थे वहाँ लोग उन्हें ज्ञान प्राप्त करने हेतु घेर लिया करते थे। उद्दालक और आरुणि इस प्रकार के 'चरक थे।
सामाजिक दशा - स्त्रियों की शिक्षा इस काल में ऋग्वैदिक काल की भाँति स्त्रियों को उच्च स्थान प्राप्त था और इस काल में स्त्रियों की शिक्षा का समुचित प्रबन्ध था, फिर भी इस काल में गार्गी, मैत्रेयी आदि विदुषी महिलाओं का उल्लेख प्राप्त होता है।
(अ) ब्रह्मचर्य आश्रम : लड़कों की भाँति कन्याओं के लिए ब्रह्मचर्य आश्रम का उल्लेख प्राप्त होता है। इस अनुशीलन के बाद उनका विवाह होता था।
(ब) संगीत शिक्षा : तैत्तिरीय संहिता के अनुसार स्त्रियों को संगीत की शिक्षा प्रदान की जाती थी और स्त्रियाँ इसमें रुचि लेती थीं। शतपथ ब्राह्मण में सामवेद गान स्त्रियों का विशिष्ट कार्य बतलाया गया है।
(स) घरेलू शिक्षा : उत्तर वैदिक काल में घरेलू शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाता था। गृहस्थ जीवन बिताना व भोजन बनाना इनका प्रमुख कार्य था, स्त्रियाँ घर में सूत, ऊन की कताई-बुनाई काम भी प्रमुखतया से करती थीं।
ब्राह्मण : इस युग में ब्राह्मणों में सम्पूर्ण शक्तियाँ विद्यमान थीं, वे एक मात्र शिक्षा के प्रचारक थे, वे विद्याव्यसनी होने से भारत समाज में पूज्य थे, परन्तु इस काल में केवल ब्राह्मण होना ही विद्वान होने की कसौटी नहीं था, वरन विद्या का ज्ञान प्राप्त कर उसे बिखेरना ही उसकी योग्य ऋषि की कसौटी थी. क्योंकि इस काल में ब्राह्मणों के अतिरिक्त क्षत्रिय राजा हुए, जिन्होंने विद्याभ्यास द्वारा ही विद्वता प्राप्त की।
क्षत्रिय :  इस काल में क्षत्रियों की महानता में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही थी। यदि ब्राह्मणों के महत्व का कारण धार्मिक था, तो क्षत्रियों के महत्व का कारण राजनैतिक था। यह अपने से नीचे के वर्ण की कन्या से विवाह कर सकते थे पर बनाये रहने के लिए ऐसा वे नहीं करते थे।
वैश्य : पुरुष सूक्त में वैश्य शब्द का प्रयोग किया गया है। वैश्यों का कार्य होता खेती करना और पेट पालने में सहायता करना, लेकिन इस काल में वैश्यों की असंख्य उपजातियाँ बन गयी और इन्होंने अनेक प्रकार के व्यापारों को अपना लिया था।
शूद्र - शूद्र ब्राह्मणों और क्षत्रियों एवं वैश्यों के सेवक थे, इन्हें इच्छानुसार देश से निकाला जा सकता था और उनकी हत्या भी की जा सकती थी। शूद्रों की उत्पत्ति आदि पुरुष से हुई है, अथर्ववेद में एक स्थान पर यह प्रार्थना की गयी मुझे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र - सभी का प्रिय बनाओ। फिर भी इस काल में शूद्रों को उच्च स्थान प्राप्त न था।
आश्रम व्यवस्था (Ashram System : ऋग्वैदिक काल की भाँति इस युग में मानव जीवन को नियमित करने हेतु चार आश्रमों में बाँटा गया था ताकि वह अपने जीवन को यम-नियम में व्यतीत करता हुआ मोक्ष को प्राप्त कर सके। मनुष्य की आयु 100 वर्ष निश्चित की गयी थी, इसके अनुसार आश्रमों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया था -

क्रम आश्रम अवधि
1. ब्रह्मचर्य आश्रम जन्म से 25 वर्ष तक
2. गृहस्थ आश्रम 26 से 50 वर्ष तक
3. वानप्रस्थ आश्रम 51 से 75 वर्ष तक
4. संन्यास आश्रम 76 से 100 वर्ष तक

विवाह : विवाह इस काल में भी एक पवित्र बन्धन माना जाता था, जिसका मुख्य उद्देश्य सन्तान उत्पन्न करना था। इस काल में आठ प्रकार के विवाह प्रचलित थे
1. ब्रह्म विवाह : जिसमे पिता की इच्छा से अपनी पुत्री का विवाह उपयुक्त व्यक्ति से पुरोहित की सहायता से करता था।
2. दैव विवाह : यह भी ब्रह्म विवाह की तरह पुरोहित से सम्पन्न होता था।
3. आर्ष विवाह: इसमें पिता वर पक्ष की आर्थिक सहायता में गाय, बैल उपहार करता था।
4. प्रजापति विवाह : इसमें पिता-पुत्री द्वारा स्वेच्छा से किये गये विवाह को सम्पादित करता था। इसमें सप्तपदी का विशेष था।
5. गन्धर्व विवाह : इसमे लडका तथा लड़की स्वेच्छा से प्रेम विवाह करते थे।
6. असुर विवाह : जिसमें लड़का पक्ष धन देकर लड़की से विवाह करता था।
7. राक्षस विवाह : पुरुष स्त्री को जबरदस्ती उठाकर ले जाता था और उससे विवाह करता था।
8. पिशाच विवाह : जिसमे पुरुष स्त्री को धोखा देकर अथवा उसकी न जानकारी में उसे उठाकर ले जाता था और उससे विवाह कर लेता था. परन्तु ऐसा विवाह समाज में स्वीकृत नहीं था।
स्त्रियों की स्थिति : शतपथ ब्राह्मण में स्त्री को पुरुष की अर्धाङ्गिनी कहा गया है, गार्गी, मैत्रेयी जैसी विदुषी स्त्रियाँ इस काल में हुई जिन्होंने वैदिक संहिताओं की रचना में सहयोग दिया। स्त्रियों को विशेष सुविधा प्राप्त थी, धर्म सूत्रों ने स्मृतियों की तुलना में स्त्रियों के प्रति अधिक उदार दृष्टिकोण अपनाया था जैसे कि धर्मसूत्र में पत्नी को किसी भी स्थिति में क्याज्य नहीं माना गया है। व्याभिचारिणी पत्नी को प्रायश्चित करके पति स्वीकार कर सकता था।
शिक्षा : शिक्षा का आरम्भ उपनयन संस्कार से होता था। राज्य की ओर से शिक्षा का प्रबन्ध न था अपितु गुरु अपने घरों अथवा आश्रमों में निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते थे। विद्यार्थियों को गुरु के पास ही रहना पड़ता था. वे प्रत्येक प्रकार से गुरु की आज्ञा का पालन करते थे, उनकी सेवा करते थे, भिक्षा माँग कर लाते थे और शिक्षा समाप्त होने पर गुरु को स्वेच्छा से दक्षिणा देते थे।
आर्थिक व्यवस्था : इस काल में आर्यों के जीवन में पर्याप्त प्रगति हो गयी, जिसके कारण बड़े-बड़े नगरों का निर्माण सम्भव हो सका, इस काल में मुख्य व्यवसाय कृषि हो गया। 24 बैलों के हल में जोड़ने के उदाहरण प्राप्त होते हैं. हल लोहे के बनते थे।
व्यापार : इस काल में विदेशी व्यापार तथा समुद्री यात्रायें होती थी। इसमें सन्देह नहीं किया जा सकता है, श्रेष्ठिन शब्द के बार-बार प्रयोग से यह अनुमान किया जाता है।
धर्म तथा दर्शन : उत्तर वैदिक काल में धर्म और दर्शन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। यह कहा गया है कि उत्तर वैदिक काल का महान कार्य हिन्दू धर्म का संगठन।
आरण्यक ग्रन्थ- कर्मकाण्ड, यज्ञ और बलि से विरक्त होकर तप का विचार भी इस काल में उक्पन्न हुआ, मूलत: आरण्यकों ने तप के विचार का प्रतिपादन किया। आरण्यकों ने तप मार्ग पर बल देकर ज्ञान मार्ग के लिए आधार तैयार किया।
उपनिषद् : ज्ञान मार्ग का प्रतिपादन उपनिषदों ने किया, सप्त ज्ञान के द्वारा ही ब्रहा तथा मोक्ष की प्राप्ति सम्भव है। यह उपनिषदों ने बताया है, उपनिषदों में कहा गया है कि 'संसार ब्रह्म है, परन्तु ब्रह्म आत्मा है।'
मोक्ष का सिद्धान्त - ब्रह्म, मोक्ष, पुनर्जन्म और कर्म सिद्धान्त के विचारों की उत्पत्ति भी इस काल में हुई। ब्रह्म अथवा परमात्मा एक है और उसे प्राप्त करना अथवा मोक्ष प्राप्त करना जीवन का सबसे प्रमुख आदर्श है। यह विचार इसी काल में परिपक्व हुए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
  4. प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
  6. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
  7. प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
  8. प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
  12. प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
  13. प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
  15. प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
  16. प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
  17. प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
  21. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  28. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  30. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  31. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  32. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  35. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
  36. प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
  37. प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  41. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  45. प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
  47. प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  48. प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
  50. प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
  52. प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  54. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
  57. प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
  58. प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
  60. प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
  62. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  63. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  67. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  71. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
  74. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
  79. प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  81. प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  84. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
  86. प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
  87. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  88. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  91. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  94. प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
  95. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  96. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  100. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  101. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  105. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  107. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  109. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
  110. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
  111. प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  112. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न-
  114. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
  115. प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
  117. प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
  119. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
  120. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
  121. प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
  122. प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  125. प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
  126. प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
  127. प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
  128. प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
  129. प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
  131. प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
  132. प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
  136. प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
  137. प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  139. प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
  140. प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
  142. प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
  144. प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
  145. प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
  146. प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
  147. प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
  148. प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  149. प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  150. प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  151. प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
  152. प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
  153. प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  155. प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  156. प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
  157. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  158. प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
  160. प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- चाहमान कौन थे?
  162. प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  166. प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
  167. प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  168. प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  169. प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
  170. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  171. प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  172. प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  173. प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  175. प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
  176. प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
  177. प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
  178. प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  179. प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  180. प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
  181. प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
  182. प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  183. प्रश्न-
  184. प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
  185. प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
  186. प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
  187. प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
  188. प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
  189. प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
  190. प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
  191. प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  192. प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
  193. प्रश्न- हिन्दू धर्म में
  194. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
  195. प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  196. प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
  197. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  198. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  199. प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
  200. प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
  201. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
  202. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
  203. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
  204. प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
  205. प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
  206. प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
  207. प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  208. प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
  209. प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
  210. प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
  211. प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
  212. प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
  213. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  214. प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
  215. प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
  216. प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।

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